दिल्ली उच्च न्यायालय में शनिवार को सार्वजनिक हित वाली याचिका में कहा गया कि सुप्रीम कोर्ट ने देश में समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से हटाकर समानता और सम्मान का अधिकार तो दे दिया लेकिन हिन्दू विवाह अधिनियम के प्रावधानों के तहत अभी भी समान विवाह की अनुमति नहीं है। याचिका के माध्यम से हाई कोर्ट में आग्रह करते हुए कहा गया कि ,क्योंकि 1956 के हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 5 में समलैंगिक और विषमलैंगिक जोड़ें के बीच अंतर …